चाची की बाथरूम में घोड़ी बना के चूत मारी ।hindi sex story


 नमस्कार दोस्तों मेरा नाम राजेश है और में 20 साल का हूँ आज में आपको अपनी चाची की कहानी सुनाने जा रहा हूँ की कैसे मैंने उनको बाथरूम में घोड़ी बना के पेला।

मेरे पिताजी दो भाई  थे। मेरे चाचा जी की शादी अभी 5 साल पहले हुई थी। शादी के 3 साल बाद मेरे चाचा जी का एक्सीडेंट में देहांत हो गया था। चाचा के देहांत होने के बाद  चाची जी हमारे साथ ही घर में रहती थी लेकिन मेरी  चाची जी की नीयत ठीक नहीं थी। चाची जी के अंदर कुछ ज्यादा ही हवस  की गर्मी भरी थी। हालांकि शादी के बाद चाचा के होने पर उसकी नीयत  ठीक थी लेकिन चाचा की मृत्यु के बाद उसकी नीयत इधर उधर होने लगी। इसलिए अब चाचीजी की हवस और शारीरिक जरूरतें ज्यादा। थी। चाची जी का थोड़े से मन नहीं भरता इसलिए उसे और ज्यादा चुदाई चाहिए थी।

 थोड़े दिनों के बाद मैं भी घर आ गया था क्योंकि मेरा भी अकेले का वह मन नहीं लग रहा था इसलिए मैंने अपने पापा को कह दिया की मैं यही घर से ही पढ़ाई करूँगा। मेरी उम्र भी अब 18,19 वर्ष की हो गयी थी और मेरा शरीर भी काफी लंबा चौड़ा था। चाची जी मुझे पहले से ही बहुत ज्यादा पसंद करती थी। जब मैं घर आ गया तो मुझे देखकर चाची जी बहुत खुश हुई। मुझे देखकर चाची जी ने कहा आओ राजेश अच्छा किया। तो तुम घर आ गए, अब वापस मत जाना पता है तुम्हारे बिना हमारा मन भी नहीं लगता था। मैंने कहा चाची जी अब मैं कहीं नहीं जाऊंगा तुम्हें यहीं रहकर पढ़ाई करूँगा।

 उसके बाद जब मैं चाची जी के पैर छूने लगा तो चाची जी ने रोक दिया और कहा तुम्हारी जगह मेरे पैरों में नहीं बल्कि मेरे सीने में है और उन्होंने मुझे अपने गले लगा लिया। चाची जी ने मुझे इस तरह से गले लगाया की मैं उनकी दिल की धड़कन मन की आवाज़ साफ तौर पर सुन रहा था। चाची जी के गले लगाने पर मैंने यह महसूस किया कि चाची जी के अंदर कुछ ज्यादा ही गर्मी और हवस भरी पड़ी है क्योंकि चाची जी मुझे पहले से ही बहुत पसंद करती थी लेकिन चाची जी बहुत ही ज्यादा सुंदर और हसीन थी।मेरी चाची का फ़िगर 34-30-34 था उसकी गोल गोल गाँड देख के किसी का भी लंड खड़ा हो जाए । चाची जी के गले लगाने पर मेरा लंड  अचानक से खड़ा हो गया। उसके बाद मैंने सोचा जब चाची जी इतना कुछ कर रही है तो मैं पीछे क्यों हो। इसलिए मैंने भी चाची के मज़े लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसके बाद चाची ने कहा, राजेश तुम बैठ जाओ, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ और हाथ मुँह धोकर खाना खा लिया। उसके बाद चाची ने मेरे लिए चाय बनाई।

 मेरी मम्मी इस वक्त अपने मायके मेरे मामा जी के घर गयी हुई थी। मैं अपने माता पिता की एकलौती बेटा था इसलिए घर में मेरे पापा और मेरी चाची और उनकी छोटी लड़की और मैं ही रहता था। मेरे पापा हर रोज़ सुबह काम पर चले जाते थे। मेरे पापा ने भी मुझसे यह कह दिया की बेटा अब तुम यहीं रहकर अपनी पढ़ाई कर लो। मैंने कहा ठीक है पापा 1 दिन पापा के काम पर चले जाने के बाद हाँ जी ने मुझसे कहा कि मेरे पेट में दर्द हो रहा है। मैंने कहा चाची जी अगर आपके पेट में ज्यादा दर्द है तो मैं आपको डॉक्टर के पास ले चलू ।चाची जी ने कहा नहीं लगता है मेरी पेट की धरण डिग गयी है। फिर मैंने कहा चाची जी यहाँ कैसे ठीक होगी? उसके बाद चाची ने कहा ऐसा कभी कबार मेरे साथ हो जाता है के बाद चाची ने कहा तुम ऐसा करो, रसोईघर में तेल रखा है, थोड़ा सा तेल ले आओ और मेरी पेट के ऊपर पूरी मालिश कर दो। मैंने कहा चाची ऐसा करने से क्या आप ठीक हो जाओगे? उसने कहा क्यों न? मैंने कई बार ऐसा किया है। ऐसा करने से मैं बिल्कुल ठीक हो जाऊंगी। मैंने कहा ठीक है चाची मैं अभी तेल लेकर आता हूँ। उसके बाद मैं तेल लेकर आया और चाची को दे दिया।

 चाची ने कहा यह क्या कर रही है वो? मैंने कहा क्या हुआ चाची? उसने कहा तेल नहीं लगाओगे। मैंने कहा मैं लगाऊंगा तेल। चाची ने कहा और नहीं तो क्या तुम नहीं लगाओगे तो कौन लगाएगा? घर में तुम्हारे सिवा और कौन है? अब चाची की कही हुई बात को मैं कैसे मना कर सकता था? उसके बाद वो बेड पर लेट गयी और मुझसे तेल लगाने के लिए कहने लगी। मैंने थोड़ा सा तेल लेकर चाची के पेट के ऊपर मालिश करने लगा। अभी दिन के 12:00 बजे थे और घर में भी कोई नहीं था। चाची जी की छोटी लड़की थी। वह बाहर खेल रही थी। हमें चाची जी को तेल लगाने लगा तो चाची जी कहने लगी कि यहाँ लगा वो थोड़ा ऊपर थोड़ा ऊपर ऐसा करते करते चाची जी ने मेरा हाथ अपने दूध तक पहुंचा दिया। मैंने झट से अपना हाथ पीछे की तरफ कर लिया। फिर मैंने कहा चाची जी अब आपको कुछ आराम हुआ है? चाची ने कहा अभी तो नहीं हुआ है अभी और मालिश करो, मुझे चाची की नीयत में हवस की झलक साफ तौर पर दिखाई दे रही थी। अब चाची जी मेरा हाथ सलवार के नारे के नीचे करना चाहती थी। मैं तुरंत ही वहाँ से खड़ा हो गया और कहने लगा चाची जी अब मुझसे नहीं होगा। चाची ने कहा क्यों नहीं होगा? क्या तुम मेरी बात नहीं मान सकते? मैं मन ही मन सोचने लगा की चाची की पेट में नहीं बल्की कही और मालिश करवाना चाहती है। ऐसा लगता है की चाची अब घोड़ी बनना चाहती है। इसलिए यह सब कर रही है। मेरे मन में भी एक डर था कि कहीं कोई आ ना जाए, यह सब तक किसी ने देख लिया तो मेरे पिता तो मुझे माँर की डालेंगे लेकिन चाची कहाँ मानने वाली थी? उसने कहा आओ ना राजेश कुछ तो आराम हो गया बस थोड़ी बहुत देर और लगे गी और मेरी धारण ठीक हो जाएगी।

 जैसे ही मैं दोबारा आगे बढ़ने लगा तो इतनी ही देर में मेरी पड़ोस वाली आंटी आ गई। उसे देखकर चाची जी तुरंत ही खड़ी हो गयी। आंटी ने कहा बेटा तुम्हारी मम्मी कहाँ गयी है? मैंने कहा आंटी मेरी मम्मी मामा जी के यहाँ गयी हुई है। आंटी ने पूछा इसलिए मैंने कहा आंटी जी मेरे मामा जी की तबियत कुछ ठीक नहीं है इसलिए मेरी मम्मी मामा जी के यहाँ मिलने के लिए गई हुई है। आंटी जी ने कहा ठीक है बेटा इतना कह , वापस चली गयी। उसके बाद मैंने चाची से कहा की चाची आप को पेट में दर्द हो रहा था क्या अब तुम ठीक हो? चाची ने कहा मैं बिल्कुल ठीक हूँ, अब मैं घर का कुछ काम कर लेती हूँ, तुम्हारे पापा आने वाले हैं। मैं मन ही मन सोचने लगा की चाची कहाँ खड़ी होने वाली थी? आंटी आ गई इसलिए खड़ी हो गयी वरना चाची जी तो मेरा लंड डलवाने के लिए तैयार थी। शाम को मेरे पापा काम पर से वापस आ गए। पापा ने कहा दिन में कुछ पढ़ा है तुमने, मेरे कहने से पहले चाची ने कहा राजेश ने पूरे दिन पढ़ाई की है, अब चाची ने कही दिया था तो मैं कैसे मना कर सकता था। मैंने कहा हाँ पापा सारा दिन मेरा पढ़ाई में ही ध्यान था। उसके बाद रात को खाना खाकर हम सब लोग सोने चले गए।

 चाची तो तरस रही थी कि राजेश किसी तरह उसकी प्यास बुझा दें। अगले दिन सुबह हुई पापा फिर से काम पर चले गए। दिन का समय था, धूप तेज निकल रही थी। चाची जी ना आने के लिए चली गई। नहाते समय चाची जी आवाज लगाने लगी। राजेश राजेश कहाँ हो तुम कमरे के अंदर बेड पर मेरे कपड़े वह मुझे पकड़ा दो। उसके बाद में चाची जी के कपड़े लेकर जैसे ही चाची जी को देने लगा वो चाची जी ने मेरा हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया। यह सब देखकर मैं हैरान रह गया क्योंकि चाची के बदन पर कपड़े नहीं थे। उसमें सिर्फ चड्डी और बॉडी पहन रखी थी। पहले तो उसने मुझे पानी में भिगो दिया और फिर उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और कहने लगी की राजेश आज तुम मेरी प्यास बुझा दो। मैंने कहा क्या कर रही हो तुम? मैं आपके बेटे के समान हो। उसने कहा नहीं राजेश में तुम भी अपना बेटा नहीं मानती। अगर मैं तुम्हें अपना बेटा मानती तो मैं पैर छूने से तुम्हें थोड़ी रोकती, फिर क्या था चाची जी मुझे थोड़े ही छोड़ने वाली थी। उसके बाद चाची जी मुझे चूमने लगी और मेरे शरीर पर अपने हाथ और अपना मुँह पे नहीं लगी। उसके बाद मैं भी उत्तेजित हो उठा।मेरा लंड भी अब खड़ा हो गया था  फिर क्या था मैं थोड़ी ही रुकने वाला था। मैंने कहा चाची जी, अब आप अपनी चड्डी और अपनी बॉडी  उतार दो। चाची ने कहा पहले तुम अपने कपड़े उतारो। उसके बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैं बिल्कुल नंगा हो गया। फिर क्या था चाची ने भी अपनी चड्डी और अपनी बॉडी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल निर्वस्त्र हो गए थे।चची के बड़े बड़े चूचे मेरी आँखो के सामने थे उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था सायद आज ही सफ़ाई किए हो ।में चची के दूध दबाने लगा उसके निप्पल मुँह में डाल के दूध पीने लगा ।मेरा लंड खड़ा था जो की उनकी चूत को छू रहा था ।

 चाची मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ के सहला रहीं थी थोड़ी देर चुंबन के बाद चाची बोली अब और नी रहा जाता जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मेरी चूत की प्यास शांत करो । मेरा लंड 7 इंच का मोटा ,अब चूत में घुसने को तयार था ।

मैंने चाची से कहा की घोड़ी बन जाओ वो बाथरूम में ही घोड़ी बन ज्ञी उसकी मोटी गाँड देख के मेरा लंड रुका नहीं और मैंने पीछे से उनकी चुत में अपना पूरा 7 इंच का लण्ड पेल दिया,चाची आह …आह आह करने लगी और मुझे जोर ज़ोर से चोदने को बोलने लगी उसके बाद मैंने लगातार 1 घंटे तक चाची की पिलाई की चाची करने लगी, हाये रब्बा मार डाला रे चाची तो कई दिनों की प्यासी थी इसलिए वह अपने कई दिनों की प्यास बुझाना चाहती थी। फिर मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला था। मैंने भी लगातार 1 घंटे तक चाची को पेला। लगातार 1 घंटे तक करने पर उन की आँखों में आंसू आ गए। और कहने लगी राजेश, इतने दिन से तुम कहा गए थे, काश अगर तुम मुझे पहले मिल गए होते तो मैं तुम से ही शादी की थी और अब मैं अपनी सारी ज़िंदगी तुम पर ही लुटाना चाहती। उसके बाद हम दोनों बाहर आ गए। अगले दिन मेरे पापा मेरी मम्मी को लेने मेरे मामा जी के चले गए और कहकर गए कि मुझे आने में 5-7 दिन का समय लग सकता है इसलिए घर पर ध्यान से रहना और कुछ पढ़ लिख लेना। मैंने कहा ठीक है पापा पापा के जाने के बाद चाची के मन में कोई डर नहीं था, इसलिए अब रात को वहाँ मेरे साथ ही सोने लगी और एक रात में दो या तीन बार मुझसे चुदवाई करवाती और अपनी चूत की खुजली मिटाती । में चाची की कभी आगे से, कभी पीछे से, कभी दोनों टाँगे उठाकर चुदाई करता और जब तक चाची को रुला नहीं देता तब तक मैं उसे कहाँ छोड़ने वाला था? इसलिए मैंने चाची की हर ख्वाहिश पूरी कर दी जो वह चाहती थी। पहली बार चाची की चुदाई का  मुझे बड़ा मज़ा आ गया था इसलिए अब चाची को कहा छोड़ने वाला था। अब हर रोज़ रात को वह चाची को पूरी नंगी करके उसकीअच्छे से चुदाई करता उनकी बॉडी बनाने लगा और रात भर दो या तीन बार चाची की एक टाँग उठा के चुदाई करता  था और कभी कभी दिन मे चाची को घोड़ी बना देता और खूब चुदाई करता  जब तक मेरी मम्मी पापा घर नहीं आ गए थे तब तक मैंने चाची की अच्छी तरह से चुदाई की और उसकी प्यास बुझाई। इसलिए जब तक औरत का मर्द जिंदा रहता है तब तक उसकी इज्जत होती है। मरने के बाद और अपनी इज्जत की तरफ नहीं देखते क्योंकि उसे तो अपनी हवस से और चुदाई से प्यार रहता है। उसे दुनियादारी से कोई लेना देना नहीं रहता। सभी दर्शकों से हाथ जोड़कर निवेदन है की कहानी अच्छी लगी हो तो कमेंट  करे। अगले कहानी में फिर ऐसे ही मजेदार और इंट्रेस्टिंग कहानी लेकर आऊगा धन्यवाद। 

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