रात में अपनी साली को पटा के पेला।hindi sex story

 दोस्तों मेरा नाम राहुल है।आज में आपको अपनी साली शीलू की चुदाई का क़िस्सा बताने जा रहा हूँ की कैसे मैंने उनकी चूत में अपना लंड डालकर अपने सपने को पूरा किया ।दोस्तों मेरी नयी नयी शादी हुई थी।मैं दिन रात उससे चिपका रहता और चुदाई का आनंद लेता रहता । मेरी बीबी का फ़िगर 32-30-32 का ही इससेआप अंदाज़ा लगा सकते है की वो कितनी सेक्सी है ।मेरी शादी के बाद मैं जानूँ के प्यार में इतना खो गया कि पता ही नहीं चला कब चुदाई करते करते 1 साल निकल गया ।अब तक तो मुझे लगा कि बिगड़े हुए इंसान को सुधारना है तो उसकी शादी कर देना चाहिए ताकि वो बाहर के बिगड़े माहौल से दूर हो जाए। परंतु साल गुजरते गुजरते मेरा ये भ्रम टूटने लगा।

 कारण था मेरी जवान होती साली शीलू जो जवानी में कदम रख चुकी थी।मैं आपको उसका फ़िगर बता दु उसका फ़िगर 30-28-30 है , उसके बड़े बड़े चूचे देख के मेरा मन पीने का करता रहता और उसकी गोल मोटी गाँड देख मेरा लंड का मन उसमे घुस जाने का करता रहता। वो मुझसे बेतकल्लुफ होकर खूब मजाक करती थी। मेरा दिल उसे पाने के लिए मचलने लगा।में हर समय उसे चोदने की फ़िराक़ में रहता था।

परंतु गांव के परिवेश में ऐसा मौका इत्तेफ़ाक से ही मिल पाता है कि साली का कुछ मज़ा ले सकूँ। वो दिन ब दिन जवान और खूबसूरत होती जा रही थी पर मुझे कोई भी मौका नहीं मिल पाया कि उसकी चढ़ती जवानी   का आनंद ले सकू और अपने लंड की प्यास शांत कर लू। शीलू भी बड़ी थी, मेरे साथ मजाक करती थी। परन्तु बदकिस्मती से मेरे नैनो की भाषा वो पढ़ना सकी और ना ही समझ सकी और मैंने पहल इसलिए नहीं की मैं नहीं चाहता था कि मेरे निवेदन को ठुकरा दें और मैं अपनी नजरों में अपने को गिरा हुआ महसूस करूँ और मेरी शादी के ठीक 3 साल बाद उसकी भी शादी हो गई और वह विदा होकर चली गई। जिसका सबसे ज्यादा सदमा था शायद मुझे ही लगा होगा। फिर दिन आएँगे गुजरते रहे। मैं अपने दिल को ये समझाते हुए तसल्ली देता रहा कि साली शीलू और मेरी बीवी की कद काठी और रंगरूप लगभग सामान्य है। जो आनंद मेरी बीवी से मिलता है, वही तो सरिता से भी मिलता क्या हुआ जो मेरे हाथ में नहीं लग सकी? कई बार शीलू का ख्याल दिल में लेकर बीवी के साथ वेसे ही चुदाई करता और वो सब कुछ करता था जो मैं सरिता के साथ करना चाहता था। फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो गया और मैं अपनी गृहस्थी और काम धंधे में रम गया। कभी शीलू मिलती तो हँसी मजाक जरूर हो जाती, पर अब मैं उसके प्रति ज्यादा संजीदा नहीं होता था। अब तक मेरी हँसी मजाक होती रहती, वो भी अब जवानी में  भरपूर थी। फिर जब मेरी बीवी की डिलीवरी हुई तो शिखा भाभी कुछ दिनों के लिए मेरे साथ रहीं और मैंने उनकी जवानी के मज़े लिये ।

 शिखा भाभी ने कई रात मुझे अपनी जवानी का रस पिलाया।उनकी चुत मारके  इतना मज़ा आया कि उनके जाने के बाद कई दिन तक सपने में ही उनके उभारों को दबाता रहा और रस निचोड़ता ।हाँ मेरी साली शीलू शादी के बाद और भी निखर गयी। उसके दूध और निप्पल मेरी बीवी के जैसे सुडौल हो गए। एकदम भरें और उभरे और अब तक एक बेटी की माँ भी बन चुकी थी। इसी साल होली के बाद वह अपने मायके आयी थी तो 1 दिन को मेरे घर पर भी आयी।

 उस दिन ऑफिस से जल्दी घर आ गया। बीवी और साली को बच्चों सहित बाजार घूमाने ले गया। रात में खूब मस्ती की। मैं जमीन पर लेटा था क्योंकि बेड पे मेरी बीवी ,मेरी साली और उसका बच्चा बीच में लेटा था।शीलू को  सुबह 8:00 बजे की बस से उसे अपने ससुराल वापस जाना था। बस स्टैंड मेरे घर से बिल्कुल पास ही था इसलिए मैंने साली को मैंने एक रात यही रुकने के लिये कहा उसने भी मेरे घर रुकने पर कोई ऐतराज नहीं किया।

 रात में मैं दो पेग लगा चुका था। हम सबने साथ में खाना खाया और शीलू ने अपने कपड़े बदलकर मेरी बीवी की साड़ी पहन ली क्योंकि वो अपने कपड़े पैक कर चुकी थी। फिर मेरे डबल बेड पर एक ओर मेरी बीवी, दूसरी और मेरी साली शीलू सो गयी। अपने अपने बच्चों को अंदर की और सुला लिया। मैंने नीचे गद्दा लगाकर अपना बिस्तर लगा लिया। दोनों बहने बाते कर रही थी। कब मेरी झपकी लग गई। मुझे पता ही नहीं चला। 

करीब 1:00 बजे मेरी नींद खुली तो मेरे शरीर का जानवर कुलबुलाने लगा।मेरा लंड पूरी तरह से तना हुआ था , मुझे शीलू के जिस्म की चाहत सताने लगी। उम्मीद तो नहीं थी। शीलू इसके लिए कभी तैयार होगी और शराब के नशे में मैंने ठान लिया कि अभी कोई लफड़ा हुआ तो ये कहकर क्षमा मांग लूँगा की ये साडी जो तुमने पहनी उसे देखकर मुझे लगा कि मेरी बीवी यानी तुम्हारी दीदी सो रही है इसलिए गलती हो गयी और अपनी बीवी समझ कर तुम्हें चोद दिया।

 हालांकि मेरी बीवी सोते समय कमरे की पूरी लाइट बंद कर देती है। उसे अंधेरे में सोने की आदत है, जिसमें कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं देता। मैं हिम्मत जुटाकर करवट से सोई शीलू की चादर में घुसकर पीछे जाकर लेट् गया। अपने हाथों को शीलू के कंधे पर रख दिया। वो शायद गहरी नींद में थी, ये सोचकर मैंने उसके बड़े बड़े उभारों पर अपना हाथ रख दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी मैं  उसके ऊपर से उसके उभारों को सहलाने लगा। तभी उसने अपने हाथों से मेरे हाथ को पकड़कर हटा दिया। मेरा कलेजा धक से रह गया। सीने की धड़कन धक् करके आवाज़ कर रही थी। शीलू बार बार मेरे हरकत करते हाथों को पकड़कर हटा रही थी। लगता था जैसे मेरा हार्ट फेल हो जाएगा। मैंने कुछ देर बाद फिर से शीलू के उभारों पर हाथ रख दिया और उसके दूध दबाने लगा , फिर अपने हाथ को उसकी गर्दन और पीठ पर घुमाते हुए  छूने लगा। जब शीलू की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ तो अपने एक पैर से शीलू की पिंडलियों को सहलाते हुए उसकी साड़ी को धीरे धीरे ऊपर की ओर सरकाते हुए जाँघो तक ले आया। अब शीलू के मुँह में एक हल्की सी सिसकी निकल गयी। मैं समझ गया की मेरा तीर निशाने पर लग गया है। मैंने उसकी पीठ पर कई चुंबन लिए उसके उभारो को ज़ोर से सजाते हुए मसलने लगा जहाँ मेरा बिस्तर लगा था, वहाँ और ज्यादा अंधेरा था। अब सीलू मेरी वाइफ़ की तरह  मेरे बिस्तर में आकर मेरी बाहों में समा गयी। मैंने उसकी पेटीकोट खोल दिया तो शीलू के अमृत कलश बाहर आ गए। मैं इस मोके को ग्वाना  नहीं चाहता था। क्या पता कब मेरी बीवी की नींद खुल जाए। फिर मैंने उसके निपल अपने मुँह में डाल लिये और  पगलो की तरह चूसने लगा ,मैंने उसकी पूरी सड़ी ऊपर करके उसकी पेंटी उतार दी और अपने 7 इंच लंड को उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा,1 घंटे चुदाई के बाद अपनी सभी तमन्ना पूरी की। कई सालों की जो मेरी प्यास थी, मैं एक ही रात में पूरी मिटा देना चाहता था। वो भी मुझ को चूम रही थी, उसकी सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी। मैं नहीं चाहता था कि और तेज होकर मेरी बीवी की नींद में खलल डाले इसलिए मैंने अपने होठों को उसके होठों पे रख दिया और एक हल्की सी ऑह शीलू के मुँह से बाहर निकली। वो मुझ से ऐसे लिपट गई जैसे वो भी कभी मेरे साथ ये सब करने को तरसती रही हो। थोड़ा सा भी हिले बिना  हम दोनों अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले। 5 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए एक दूसरे के आगोश में पूरे समर्पण के साथ खो गए। मैंने महसूस किया वह बिल्कुल मेरी बीवी की तरह ही है। यानी मेरा अनुमान सही निकला फिर हो भी क्यों ना आखिर दोनों बहनें ही तो है।

 उसके बाद उसने अंधेरे में जैसे तैसे अपनी साड़ी लपेट ली और वहा से  चली गयी। मेरी दिली ख्वाहिश थी कि उससे बात करूँ उसे बता दूँ की शीलू मैं तुम्हें तुम्हारी शादी के पहले से बहुत तुम्हें हासिल करने की तमन्ना मेरे दिल में उसी समय से थी, पर कभी पूरा करने का मौका ही नहीं मिला। तुम्हारी शादी के बाद तो मैं तुम्हें पाने की उम्मीद खो चुका था, पर आज तुम्हे पाकर मैं धन्य हो गया। कभी मौका मिले तो मुझे इसी तरह अपनी जवानी का रस  पिलाते रहना और भी बहुत सी बातें उससे करना चाहता था पर बीवी के उठने का खतरा मोल लेना नहीं चाहता था इसलिए उसे जाने दिया। यहाँ तक कि हम दोनों में से कोई भी अपने प्यार या दिल की बात नहीं बोल पाया। कहना सही होगा की इतना सब हुआ पर कोई बात  नहीं। बस एक घटना की तरह जैसे हम दोनों अपना अपना किरदार निभा रहे हो। मुझे तो ये एक स्वप्न की तरह लग रहा था। 

अगले दिन 7:00 बजे शीलू ने मेरे चेहरे पर पानी के छींटे डालकर जगा दिया और बोली  जिजू? जल्दी मुझे बस स्टैंड छोड़ने चलो। उसकी आँखों की चमक और  चैन देखकर मेरी नींद उड़ गई। इच्छा हुई कि एक बार फिर से मौका मिल जाये तो मज़ा आ जाये। फिर कोई मौका नहीं मिला। मैंने उससे कहा पहुँचकर फ़ोन करना मेरी बीवी और मैंने उसे बस में बिठाकर उसके ससुराल रवाना कर दिया। सारा दिन में उसके फ़ोन का इंतज़ार करता रहा। शाम को मेरी बीवी ने बताया, सरिता का फ़ोन आया था, वो अच्छे से पहुँच गई है। मैं सोचता रहा की मेरे को उसने क्यों फ़ोन नहीं लगाया? जबकि मेरा नंबर भी तो उसके पास है। फिर सोचा की शायद उसको मौका नहीं मिला होगा। शीलू के फ़ोन का इंतजार और उसकी याद में दिल बहुत उदास हो रहा था। रात को मैंने दो की जगह चार पेग लगा लिए। अच्छा खासा नशा हो गया था। मेरी बीवी ने बड़े प्यार से मुझे खाना खिलाते हुए मज़ाकिया लगता है। साली के जाने के ग़म में आज कुछ ज्यादा ही चढ़ा ली। मुझे लगा जैसे किसी ने मुझे करंट लगा दिया हो। कहीं कल रात को मेरी बीवी ने मुझे शीलू के साथ वो सब करते हुए देख तो नहीं लिया। आँखों के आगे अंधेरा सा छाने लगा। 

नशे की हालत में कुछ भी कुछ नहीं पा रहा था। कमरे की लाइट बंद की जाकर पलंग पर लेट गया। सोचने लगा की यदि मेरे को उसने शीलू के साथ देखा होता तो अभी घर में इतनी शांति नहीं होती, ना ही मैं चैन की सांस ले पा रहा होता। तभी मेरी बीवी रसोई का काम निपटाकर आ गई। मैंने दूसरी ओर करवट बदल ली तो मेरी बीवी ने मुझे पीछे से लेकर जकड़ लिया और शरारत करते हुए मुझे यह कहने लगी मैंने कहा सो जाओ यार आज मूड नहीं है तो वो बोली कल तो बड़े रोमेंटिक हो रहे थे। मैंने इशारे से मना भी किया था। नहीं मानी और बेशर्मी की सारी हदें पार कर के मुझे बेकार में परेशान किया और अपने मन की कर ही ली थी तभी सोने दिया था। सच कहूँ तो तुमने कल रात जिस  तरीके से चुदाई किया बहुत मज़ा आया फिर भी मुझे लग रहा था कहीं शीलू ना जाग  जाए, नहीं तो सोचेगी दीदी और जीजू कितने बेशरम है? ये लोग 1 दिन भी सबर नहीं कर सकते। 

1 पल  में मेरा सारा नशा उतर गया। मुझे लगा जैसे मेरे  तोते उड़ गए हो। मेरे सामने थी यानी की रात को शीलू नहीं अपनी बीवी के साथ ही कार्यक्रम किया था। परंतु आप सभी यकीन करो या ना करो मेरी जिसमे की वो इतनी प्रबल थी। बिल्कुल ऐसा लगा जैसे पहली बार अपनी जानू के साथ सुहागरात में महसूस हुआ था। वो कार्यक्रम कितना सूखा और आप इस मरणीय था और ये तजुर्बा शायद जिंदगीभर नहीं भूल पाऊंगा। ग़रीमत ये रही कि रात में मैंने उसे शीलू जानकर उससे कोई बात नहीं की। नहीं तो मेरी तो वाट लग जाती है। बीवी से ये पूछने की हिम्मत नहीं जुटा पाया कि वो शीलू की जगह और शीलू उसकी जगह कैसे आ गए? ये बात राज़ ही रह गयी। मुझे लगता है शीलू की बच्ची को रात में बार बार पेशाब जाने की वजह से उन्होंने अपनी जगह बदल ली होगी। हर जान बची तो लाखों पाये लौट के बुद्धू घर को आये।

दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी कहानी कमेण्ट करके जरुर बताए। 


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