Indian Hindi sex story|ससुर से अपनी प्यास बुझाई


 नमस्कार दोस्तों मेरा नाम अंकिता है और में दिल्ली कि रहने वाली हूँ,मेरी शादी को 1 साल हो गया है मेरे पति बाहर जॉब करते थे इसलिए वह कभी कभी घर आते थे।इसलिए अभी तक मेरी चूत की आग शांत नहीं कर पाए थे ।मेरा फ़िगर 34-30-34 है,इससे आप अंदाज़ा लगा सकते है मैं कितनी सेक्सी हूँ।मेरे तरबूज़ जैसे चूचो को हर कोई मसलना चाहता ,मेरी मोटी गोल गाँड पर हर कोई अपना लंड रगड़ना चाहता था,लेकिन मेरी क़िस्मत में चुदाई नहीं लिखी थी क्यूकी मेरे पति कभी कभी घर आते थे।

मैं घर में अपनी सास और चाचा ससुर के साथ रहती थी।

मेरी चूत की प्यास धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी ,मैं अपनी चूत में उँगली करके इसे शांत करने का पर्यास करती लेकिन बिना लंड के मुझे उँगली शांत नी कर पा रही थी ।इसलिए मैंने अपनी चुदाई करवाने का कोई उपाय ढूढ़ने लगी।

एक दिन मेरे ससुर चाचा नंगे होकर नहा रहे थे,उन्होंने दरवाज़ा नहीं बंद किया था,मैं पास से गुजरी तो उनको देख के हैरान रह गई मेरी नज़र उनके लंड पर पड़ी जोकि 8 इंच का मोटा होगा ,मैं उनके लंड को देखते ही रह गई मेरी चूत में खुजली होने लगी थी ।सायद उन्होंने मुझे अपना लंड देखते हुए देख लिया था,मैं वहाँ से चली गई ओर बेड पे जाके उनके लंड के बारे में सोचते हूँ अपनी चूत में उँगली करने लगी और अपने चूचो को रगड़ने लगी ।मैं अब उनका लंड अपनी चूत में लेना चाहती थी।

कुछ दिनों बाद मेरी सास अपने अपने मायके चली गई और हम दोनों अकेले रह गये घर पे मैं अपने चाचा ससुर का काला और मोटा लंड को सोच सोच कर पागल सी हो गई थी मैंने चाचा से अपनी चूत की आग शांत करने के प्रयास शुरू कर दिए थे मैं उन्हें अपना बदन दिखाने लगी थी अब आगे धीरे-धीरे चाचा जी लाइन पर तो आ रहे थे मगर बहुत ही स्लो स्पीड में हंसी मजाक करते।कभी कभी कोई  नॉनवेज जोक सुना देते मुझे कंधे पर बाजू पर छू भी लेते।

वे आते जाते मेरे तरबूज़ जैसे चूचो को दबा जाते थे ऊपर से । वे इतना आगे बढ़ रहे थे तो मैंने उन्हें और उत्तेजित करने के लिए अपनापन दिखाने लगी थी ।अक्सर हाल में बैठकर अखबार पढ़ते थे जो बाथरूम से बिल्कुल साफ दिखता था, में कभी कभी नहाते टाइम दरवाज़ा खुला शोड देती और एसे ही नंगी नहाने लगती ,चाचा का लंड मेरी गाँड देखकर खड़ा हो जाता था और वे उसे सहलाने लगते थे ।

एक दिन मैं नहा के आई और अपने सरीर पर छोटा सा टॉवल लपेट रखा था ड्रेशिंग टेबल के पास खड़ी होकर बालों को सूखा रही थी और मेरे ससुर चाचा बाहर अख़बार पढ़ रहे थे वहाँ से मैं साफ़ साफ़ दिख रही थी,मैंने उनको उत्तेजित करने के लिए ही छोटा टॉवल बांधा था जो मेरे आधे चूचीं को कवर करते हुए मेरी चूत तक मुस्किल से पोहच रहा था।मैं थोड़ा आगे की ओर झुक के बाल साफ़ कर रही थी क्यूकी मुझे अपनी गोरी चिड़िया(चूत) को छुपाना था।

वे मेरे को पूरी तरह से देख रहे थे उनका लंड पूरी तरह से खड़ा था और चाचा जी अखबार आगे करके अपने लंड को छिपा रहे थे और चोरी चोरी मुझे देख रहे थे।मैं जान बूजकर अनजान बनी खड़ी थी।मैंने अपने केबिन से काले रंग की जालीदार साड़ी पहनी जो मेरे हस्बैंड ने हमारी शादी की पहली सालगिरह पर दी थी उसमे ब्रा नहीं पहननी पड़ती थी क्यूकी उसमे ब्रा वाले ढक्कन पहले से लगे थे।

मेरा ध्यान चाचा के उथे हुआ पजामें के अंदर लंड पर था ।मैंने अच्छा सा मेकअप किया और रसोई में चाय बनाने चली गई ।में अदनांगी हालत में थी,मुझे तो कुछ पता ही नहीं चाचा जी ने मुझे इस हालत में देखा है तो वे  अपनी मर्दानगी दिखाए और मुझे चोदे । मैं सोच रही थी कि जब उनको चाय देने जाऊँगी तो अपना पल्लू गिरा कर चाचा जी को अपनी जवानी का पूरा जलवा दिखा देना है मगर तभी मुझे एक झटका सा लगा।चाचा जी रसोई में आ गए उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया मैं एकदम शांत हो गई मन की मुराद पूरी हो गई थी और मैं इसे खोना नहीं चाहती थी।

 मेरे जिस्म के पीछे जो पानी की बूँदे बची थी उनको चाचा जी ने  अपने होठों से पी लिया।एसा करने से मेरे अंदर आग लग गई मैंने अपने दोनों हाथ आगे की और कर लिए उन्होंने मेरे दोनों दूध दबा दिए मैंने कुछ नहीं कहा तो उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया ।हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखा और अगले ही पल चाचा जी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए एक छोटा सा किस्स किया ।उन्होंने मेरे चूचो को मसलना सुरू कर दिया और मेरी साड़ी नीचे गिरा दिया और ज़ोर ज़ोर से हाथों में पकड़ के मेरे दोनों चूचो को मसल रहे थे जिससे मेरे ब्लाउज के हुक टूट गए और मेरा ब्लाउज खुल गया और मेरे दोनों संतरे बाहर आ गये उन्होंने अपने हाथों में पकड़ा और चूसने लगे मैंने अपने दोनों हाथ पर पीछे सिंक पर  रखें और अपने को पीछे की तरफ़  गिरा दिया मेरा पूरा समर्पण था।

 चाचा  ने मुझे देखा तो मुझे अपनी गोद में उठा लिया और  उठाकर बेडरूम की ओर चलने लगे तो मैंने गैस बंद कर दिया।

 चाचा जी मुझे माथे पर किस्स करने लगे वे किसी फूल की तरह मुझे मसल रहे थे,उन्होंने मुझे बेड पर छोड़ दिया। अब अपने हाथ से पकड़ कर फिरसे मेरे चूचे मसलने लगे और मेरे निप्पल चूसने लगे,वे कभी मेरे होठों,कभी मेरे निप्पल ओर कभी मेरी गर्दन पर लगातार चुम्मा चाटी कर रहे थे। उन्होंने अपने हाथ को मेरी साड़ी उठा के चूत के अंदर डाल दिया और अच्छी तरह से रगड़ने लगे  और मुझे तड़पा तड़पा कर उसमे उँगली कर रहे थे मैं और मुझे तड़पा तड़पा कर इतना दर्द कर रहे थे कि मैं उनका लंड अपनी चूत में डलवाने को तयार हो गई।

 मैं उसके आगे हार मान रही थी मेरे संतरो को अपने हाथों से मसलते हुए वह नीचे को आए और मेरी नाभि के आसपास अपनी जीभ से चाटने लगे मेरी कमर के आसपास भी उन्होंने बहुत चूमा,मुझे बहुत गुदगुदी हुई मैं मचल रही थी उछल रही थी और वह मुझे इस तरह तड़पा कर मजे ले रहे थे ।

उन्होंने मेरे पैरो के पास से घागरे को ऊपर उठाया और मेरी पेंटी उतार दी,उन्होंने मेरी दोनों टांगे मेरी कमर तक ऊपर उठा दी। ऊपर उठाने से मैं उनके सामने पूरी नंगी हो गयी। वो बोले तुमने अपनी चूत को बहुत चिकना कर रखा है क्या मैं तुम्हारी चूत चाट सकता हूँ , मैंने कहा बिल्कुल पसंद है और और अपने होठों में लेकर चूसने लगे वे खुद ही पूरी तरह से उनकी बेटी जैसी बहू की चिड़िया के अंदर तक वह अपनी जीभ डाल रहे थे मैं उनके बहुत ही खतरनाक और उठे हुए लंड से छेड़खानी करने लगी, चाचा जी ने अपना पजामा और अंडरवियर दोनों उतार दिए थे।वे बोले जब पहली बार मेरे लंड को तुमने देख के गई थी तो मैं भी पीछे पीछे आया था तुम्हारे,तुम बेड पे लेट के अपनी चूत को रगड़ने लगी और चूचे दबाने लगी थी, मैं भी चुपके से तुम्हारे पीछे पीछे आया था तुम इतनी गर्म हो चुकी थी कि तुमने बिना अपने कमरे का दरवाजा बंद किए  बेड पर लेट कर उंगली करनी शुरू कर दी थी।

मैं  अंदर आने लगा था सोचा कि चलो बहू की प्यास भी मिटा दु,लेकिन फिर मैंने सोचा कि अगर यह मेरे लंड को देख कर चूत में उँगली कर रही है तो फिर एक ना एक दिन यह मेरे लिए भी जरूर आएगी। मुझे पता था एक ना एक दिन तो मैं तुम्हारी चूत में अपना लंड डालने की तैयारी कर रखी थी।

 मैंने मचलते मन से पूछा और अगर मैं ना आती तो,वह हंसकर बोले ना आती तो ना आती तो तुम्हारी सास है ही वह तो कहीं नहीं गई। मैंने मुस्कुरा कर अपना एक पैर चाचा जी के सर पर रखा और उनका सर अपनी चूत के पास नीचे को दबाया चाचा जी मेरी गुलाब सी चिड़िया पर जीभ फिराने लगे मैंने उनका कड़क लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसका सूपड़ा बाहर निकाला । वह गोल सुर्ख लाल चमकदार इतना टेस्टी, तो मैं कैसे छोड़ दी मैंने अपना सिर आगे किया और उनका लंड अपने मुंह में ले लिया। मेरी चूत से नमकीन पानी निकालने लगा था और वो मेरी चिड़िया की सारी जगह वह सब अपनी जीभ से चाट रहे थे मुझे महसूस हुआ जैसे उनके लंड से कुछ नमकीन नमकीन पानी आने लगा है उनको अपने मुंह से निकाला और देखा कि उनके सामान से कुछ ऐसा पदार्थ छूटने लगा था मुझे तो यह भी टेस्टी लगता है मैं उनका चूसने लग रही थी और वे अपनी उंगली मेरी चूत में अब आगे पीछे कर रहे थे मैं तड़पती रही और आने वाला पानी पीने लगी ।मैंने तड़प तड़प और जोश में उनके लंड पर काट दिया।

 वह भी मेरे मुंह पर लंड देते हुए उन्होंने ढेर सारा माल गिराया जो मेरे चेहरे पर बिखर गया मैं मुस्कुरा रही थी,उनका वीर्य मुख मैथुन करके धीरे-धीरे आ रहा था जिसे में पीती जा रही थी मुझे वह बहुत पसंद है ।

 मैंने कहा मुझे लगता है आपका लंड तो बहुत ज्यादा ही वीर्य देता है इसलिए इधर-उधर बिखर गया है और उसका आज मेरे मुंह से पाला पड़ा है।थोड़ी देर बाद उनका वीर्य बंद हो गया पर उनका लंड अब भी वेसे ही खड़ा था।अब वो मेरी चूत में घुसने के लिये तयार था।चाचा मुझसे बोले आज मेरी तुम्हारी चुदाई करके तुम्हारी चूत की आग शांत करूगा ,मैंने भी अपना सिर हिला दिया।

उन्होंने मेरी दोनों टाँगे उठा के अपने कंधों पे रख ली और अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ने लगे ,मुझसे रहा नी जा रहा था मैंने कहा चाचा जी जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो और मुझे चोद दो।मेरी चूत की आग को शांत कर दो ।उन्होंने एक ही झटके में अपना पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे चोदना शुरू कर दिया।मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी आह आह और तेज फाड़ दो मेरी चूत ,आह आह और तेज

मेरी आवाज़े सुनके वे और भी तेज मुझे चोदने लगे ,मुझे बहुत आनद आ रहा था,एसी चुदाई मेरी पहली बार कोई कर रहा था।क़रीब आधे घंटे की चुदाई के बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बना लिया और मेरी मोटी गाँड से रगड़ते हुए पीछे से अपना लंड फिर से  मेरी चूत में डाल दिया और जोर ज़ोर से चुदाई करने लगे, मेरी चूत से उन्होंने 2 बार पानी निकाल दिया चोदते चोदते लेकिन उनका लंड अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था।मुझे लग रहा था जैसे वो आज मेरी चूत फाड़ के ही मानेंगे,क़रीब 1 घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद उनके पानी छूटने वाला था।उन्होंने मुझसे पूछा की माल चूत के अंदर ही क्षोंड दु मैंने कहा नहीं मुझे सारा माल पीना है,उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाल के मेरे मुँह के सामने कर दिया।उनके लंड से पिचकारी की तरह माल निकालने लग गया जो कुछ मेरे चेहरे,कुछ मेरे चूचो पर गिर गया।उनके माल से मेरा पूरा मुँह भर गया और मैं सारा माल पी गई।

उसके बाद जब तक मेरी सास नी आ गई हम दिन रात चुदाई करते रहते।चाचा ने उतने दिन मुझे पेंटी नहीं पहनने दी जब उनका मन करता तो मेरी साड़ी उठाकर कही भी चुदाई शुरू कर देते ,और मेरी चूत की आग को शांत करते।

 आशा है कि आज की कहानी पसंद आई होगी इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ।और कमेंट करके बताए की आपको मेरी कहानी कैसी लगी।धन्यवाद

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